Thursday, February 13, 2020

*नजात दिलाने वाले आ'माल पोस्ट*

       
     بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*तौबा व इस्तिगफार व मुजाहदे के सबब रूह परवाज कर गई थी*
                             एक दिन हजरते सय्यिदुना मन्सूर बिन अम्मार عَلَیْهِ رَحمَةُاللّٰهِ الْغَفَّار लोगों को वा'जो नसीहत करने के लिये मिम्बर पर तशरीफ लाए और उन्हें अज़ाबे इलाही से डराने और गुनाहों पर डांटने लगे । करीब था कि लोग शिद्दते इज़तिराब से तड़प तड़प कर मर जाते । उस महफ़िल में एक गुनहगार नौजवान भी मौजूद था जो अपने गुनाहों की वज्ह से कब्र में उतरने के मुतअल्लिक काफ़ी परेशान था।जब वोह आप رَحْمَةُاللّٰهِ تَعَالٰی عَلَیْه के इजतिमाअ से वापस गया तो यूं लगता था जैसे बयान उस के दिल पर बहुत ज़ियादा असर अन्दाज़ हो चुका है । वोह अपने गुनाहों पर नादिम हो कर अपनी मां की खिदमत में हाजिर हुवा और अर्ज की : “ऐ मेरी मां ! आप चाहती थीं कि मैं शैतानी लह्वो ला'ब और खुदाए रहमान عَزَّوَجَلَّ की ना फ़रमानी छोड़ दूं लिहाजा आज से मैं इसे तर्क करता हूं ।

                            और उस ने अपनी मां को येह भी बताया कि मैं हज़रते सय्यिदुना मन्सूर बिन अम्मार عَلَیْهِ رَحمَةُاللّٰهِ الْغَفَّار के इजतिमाए पाक में हाज़िर हुवा और अपने गुनाहों पर बहुत नादिम हुवा । चुनान्चे ,मां ने कहा : “ऐ मेरे बेटे ! तमाम खूबियां अल्लाह عَزَّوَجَلَّ के लिये हैं जिस ने तुझे बड़े अच्छे अन्दाज से अपनी बारगाह की तरफ लौटाया और गुनाहों की बीमारी से शिफ़ा अता फ़रमाई और मुझे कवी उम्मीद है कि अल्लाह عَزَّوَجَلَّ मेरे तुझ पर रोने के सबब तुझ पर ज़रूर रहम फ़रमाएगा और तुझे कबूल फ़रमा कर तुझ पर एहसान फ़रमाएगा।"
फिर उस ने पूछा : “ऐ बेटे ! नसीहत भरा बयान सुनते वक़्त तेरा क्या हाल था ? तो उस ने जवाब में चन्द अश्आर पढ़े ,जिन का माहूम येह है : "मैं ने तौबा के लिये अपना दामन फैला दिया है और अपने आप को मलामत करते हुए मुतीओ फ़रमां बरदार बन गया हूं । जब बयान करने वाले ने मेरे दिल को इताअते खुदावन्दी की तरफ़ बुलाया तो मेरे दिल के तमाम कुफ़्ल ( या'नी ताले ) खुल गए । ऐ मेरी मां ! क्या मेरा मालिको मौला عَزَّوَجَلَّ मेरी गुनाहों भरी ज़िन्दगी के बा वुजूद मुझे कबूल फ़रमा लेगा । हाए अफ्सोस ! अगर मेरा मालिक मुझे नाकाम व ना मुराद वापस लौटा दे या अपनी बारगाह में हाजिर होने से रोक दे तो मैं हलाक हो जाऊंगा ।" फिर वोह नौजवान दिन को रोजे रखता और रातों को कियाम करता यहां तक कि उस का जिस्म लागर व कमजोर हो गया ,गोश्त झड़ गया ,हड्डियां खुश्क हो गई और रंग जर्द हो गया । एक दिन उस की मां उस के लिये प्याले में सत्तू ले कर आई और इसरार करते हुए कहने लगी : "मैं तुझे अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की कसम दे कर कहती हूं कि येह पी लो ,तुम्हारा जिस्म बहुत मशक्कत उठा चुका है।

                                               चुनान्चे ,मां की बात मानते हुए जब उस ने प्याला हाथ में लिया तो बेचैनी व परेशानी से रोने लगा और अल्लाह عَزَّوَجَلَّ के इस फ़रमान को याद करने लगा*"یَّتَجَرَّعهٗ وَلَایَکَادُیُسِیْغُهٗ"**तर्जमए कन्जुल ईमान :-* "ब मुश्किल इस का थोड़ा थोड़ा घूंट लेगा और गले से नीचे उतारने की उम्मीद न होगी ।" फिर उस ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया और ज़मीन पर गिर गया । देखते ही देखते उस की रूह कफ़से उन्सुरी से परवाज़ कर गई 

                       अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मगफिरत हो । आमीन_
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