Sunday, March 17, 2019

हिस्टरी ऑफ़ सुल्तान दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) अचलपुर सिटी (हिन्दी - Hindi)

https://www.youtube.com/watch?v=UCJQQ3o5O50&t=143s

                HAZRAT SULTAN DULHA ABDUL RAHMAN GHAZI ACHALPUR CITY 
    



                      हिस्टरी ऑफ़ सुल्तान दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) अचलपुर सिटी  
                                                           डिस्टिक अमरावती महाराष्ट्र 


                                                          السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ
                ईस आर्टिकल में हमने  सुल्तान  दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) का जंग का वाकिया का जिक्र किया गया है ये (जंग नामा) किताब से लिया गया है जिसके मुसन्निफ़ का नाम मोहम्मद ग़ाज़ी मिया इलिचपुर साहब है शहर इलिचपुर एक तवील तहज़ीबी सफ़र की अलामत है इसके तारीखी अदवार व असा के मुताले से एस बात का अंदाज़ा बखूबी लगाया जासकता है ज़रुरत एस बात की है के एस शहेर की एक जमे तारीख मुरत्ताब की जाये जिस में यहाँ की तारीखी वाकियात के सात सात ज़बान व अदब और मज़हब के हर पहलों को सामने लाया जाये जेरे नज़र जंग नामा इसी सिलसिले की एक कड़ी है

                  
                                                              
                                                        रुतबा शहीद इश्क़ अगर जान जाये 
                                                         कुर्बान होने वाले पे कुर्बान हो जाये


                                                      जेरे मुताला जंग नामे में गज़नी के शहजादे शाह अब्दुल रहमान उर्फ़ सुल्तान दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी(रहमतुल्ला अलैह) और राजा ईल के दरमियान जंग के हलात का तजकिरा है (इलीचपुर) के कदीम दकनी के शयेर मोहम्मद ग़ाज़ी मिया ने नजम कीये है इस जंग के हलात को शाएर ने तारिख  जहनिय से अखज़ किया है तारीख जहानिया को तजकिरा निगारो ने "तारीख जहानी; और तारीखे जहनिया भी किखा है ईस जंग नाम में ग़ाज़ी मिया ने अपनी शाएरी मुनासीबत से नमाये जहा लिखा है वोह कहते है 
                  
                       
                          बे सर शहीद का है युही बयां शहादत      
                          जो नमाये जहा में मजकुर है ईबादत

जंग नामें का खूलासाए कलाम'
           ज़ेरे मुताला जंग नाम में अब्दुल रहमान उर्फ़ सुल्तान दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह)
और राजा ईल के दरमियान जंग का वाकिया ईस तरह बयाँन किया गया है के बरार का बादशा राजा ईल इस्लाम का सख्त मुखालिफ था एक दिन किसी मुस्लमान (भाट)-{फ़क़ीर} ने इसके सामने इस्लाम की तारीफ की तो उसने गज़बनाक होकर ईसके हात कटवादिये और इसको अपने मुल्क से निकाल दिया वोह फरियाद करता हुआ गज़नी (अफगानिस्तान) पोहचा जहा सुल्तान नसीरुद्दीन सुबुक्त्गीन के दरबार में पोहचा ग़जनी पहोच कर उसे मालूम हुआ के सुल्तान का इन्तेकाल होगया है और उसका लड़का बादशा (शाह स्माइल) तख़्त नशीन हुआ  ईसने अपने छोटे (सौतेले) भाई सुल्तान मेहमोद ग़ाज़नवी को हुकूमत से बेदखल करदिया और हकुमाते ग़ाज़नवी में एक इंतेशार बरपा
है गज़नी के लोगो ने ईस (भाट) यानि फ़क़ीर को सुल्तान नासिरोद्दीन के नवासे और मेहमोद ग़ाज़नवी के भानजे अब्दुल रहमान उर्फ़ सुल्तान दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) से मिलने का मशवेरा दिया वोह ईस वक्त अपने मुल्क से शादी रचाने के लिए आये होये थे (भाट) ने जश्ने शादी के मौके पर शाह अब्दुल रहमान ग़ाज़ी को अपना किस्सा सुनाया और इस्लाम के नाम पर लल्कारा शाह अब्दुल रहमान ग़ाज़ी शादी की तकरीब को मौकूफ कर के अपने आजा (चाहने वाले) और सरफ़रोश मुजाहिदीन की एक जमात के सात राजा ईल से जंग के लिए रवाना हो गए आप के हमराह आपके की वालिदा (मलेका जहा) बड़े भाई सुल्तान तमु ग़ाज़ी और बेहराम शाह ग़ाज़ी भी जीहाद के लिए रवाना होए दीगर आज़ा में आपके पाच भानजे जो पंच पीर के नाम मौसूम है शामिल थे इनमे एक भानजे शाह आलम के नाम से मौसूम थे दीगर शर्काए जिहाद में शाह ग़ाज़ी के उस्ताद शैख़ शम्शोद्दीन साहब खालिक वाली साहब‘ शाहनेमतउल्लाह साहब‘ शाह भोले भाले साहब ‘(अमजद साहब और माजिद साहब) ‘ नौगाज़ी मिया‘ और बल्खंदी साहब काबिले जिक्र है  
                             मुजाहिद की फौज बरार के सरहद के करीब पोह्ची वहा वालिये हिन्द राजा वकिद ने आपका इस्तेकबाल किया और तोहफे तहाद दे कर रुक्सत किया खेलड़ हुकुमत बरार का सरहदी मकाम था जब आपकी सवारी वहा पोह्ची तो राजा ईल को खबर पोह्ची के शाह अब्दुल रहमान ग़ाज़ी राजा ईल पर हमले की तेयारी से अराहे है राजा ईल ने अराकीन ए सल्तनत से हँसकर कहा के शहजादे को ईस की मौत यहाँ खीच कर लराही है इसने मुकाबले के लिए देओ का एक लश्कर रवाना किया सरकार से (खेलड़) के करीब जंग होए जब मुजाहिदीन को फतह की कोई सूरत नज़र नहीं आई तो शाह अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) बारगह ए रब्बुल ईज्ज़त में फतह यबी के लिए दस्त बिदआ (दुआ की) होए गैब से निदा आई के आप अपना सर खुद काटले और फिर बगैर सर के जंग करे आपने अपनी वालेदा (मलेका जहा) से मश्वरा किया वोह भी हुक्मे इलाहि की बजा अवारी पर बखूबी राज़ी होगए चुनानचा आपने अपना सर काट कर अपनी वालेदा (मलेका जहा) के हवाले कर दिया और जंग के लिये आगे बडे काई देओ को क़त्ल करने के बाद बरार के दारुल खलाफा इलिचपुर का रुख किया इलिचपुर के करीब घमासान की लड़ाई होई राजा ईल भी ईस जंग में मुकाबले पर अया लेकिन ताब ना लाकर मैदाने जंग से फरार हो कर इलिचपुर के किले भवानरे (सुरंग)में छुप गया शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) जंग करते होए आगे बडहे और दुश्मानाने ईस्लाम के तआकिब के लिये मुजाहिदीन को रवाना किया शहर इलिचपुर में जहा आस्ताना ‘कमान’ है आपके हात से कमान गिर गई गैब से निदा आई के अब जंग बंद करदी जाये मुजाहिदीन राजा ईल को पकड़ कर लाये शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) ने राजा ईल को पहले ईस्लाम की दावत दावत दी इसने ने बजाये कबूल करने के आपकी तरफ थोक दिया अपने उससे फरमाया के मै तेरी जगह होता तो तू क्या करता ? इसने जवाब दिया के मै आपकी खाल खीच कर इसमें भुस भरवा कर जला देता और चुनान्चा ईस के सात भी शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) ने वैसा ही मामला किया राजा ईल का परधान बेराठ नामी शख्स था शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह)के तीनो भईयों ने ईसका का मुकाबला किया वोह फरार हो गया शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) ने रीद नामी सरकश देव का मुकाबला किया वोह भी भाग गया आखिर आपके भानजे शाह आलम साहब ने ईसका पीछा किया और काम तमाम कर दिया एक (राकशश) जिस का नाम तोंडडीया था आगे आया और मुजाहिदीन को पकड़ पकड़ कर निगलना शिरू कर दिया था ईस (राकशश) ने शाह बेहराम को भी निगल लिया वोह ईस के सर को चिर कर बहर निकल आऐ आखिर शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) ने ईसको भी कत्ल कर दिया गंज शोहदा (अभी परतवाडा में आपका मजार है) के करीबचवदा हज़ार मुजाहिदीन शहीद होए जो एक ही कब्र में असुदा है खोवाब है राजा ईल का भाई हिअत (हिपट) नामी जादूगर था शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) ने ईसको भी कत्ल किया ईसके अलावा एक और शख्स का मजाको भी अपने तभाह किया शाह पीर गैब साहब हिने राजा ईल को भवानरे (सुरंग) से पकड़ कर शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) के सामने पेश किया था (जिन का मज़ार अभी अचलपुर महेल्ला किला में मौजूद है) पंज पिरो ने भी अपनी बहादुरी के जोहर दिखाए इनके अलावा खालिक वली साहब‘ शाह नेमत उल्ल्हा ग़ाज़ी’ शाह भोले भाले साहबनोगज़ी साहब’ और बल्खंदी साहब’ हज़रात पीरहबश साहब और पीरबबन साहब ने भी सरफारोशी के जोहर दिखाए आखिर कार शाह दूल्हा रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) को फतह होई फतह के बाद आपकी वलिदा (मलेका जहा) आपका सरे मुबारक लाये और सर को जिस्म से मिला दिया जैसे ही सर जिस्म से मिला आप फोरन सजदे में गिर गए सजदा ए शुक्र से सर उठा कर दुआ के लिये हात उठाए बारगहे किबरिया से अवाज़ आई के अगर आप हुकूमत के खुवाहिशमंद है तोह हम आपको(हफ्त किशोर) की सल्तनत देगे और अगर आप (बहिश्त ब्रिन) चाहते है तो सतो बहिश्त आपके लिए अरास्ता है अपने बहिश्त ब्रिन में जना पसंद फरमाया 

                   लेना है तेरा सर’ तेरी घर्दन’ तेरी जा मोल     
                 अऐ तईर शोक उडके पहचानना है तोपर तोल   
      जंग नामे में शाह अब्दुल रहमान ग़ाज़ी (रहमतुल्ला अलैह) का नसब नामा ईस तरह दर्ज किया गया है
               १ ) - शाह दूल्हा अब्दुल रहमान ग़ाज़ी
               २ )बिन सुल्तान हुसैन ग़ाज़ी
               ३ )बिन शाह सैयद मसओद
              ४)बिन सैयद अताउल्लाह
              ५ ) -  बिब शाह ताहिर
              ६ ) -  बिन शाह तईब
               ७ ) -  बिन सैयद मोहम्मद
              ८ ) -  बिन सैयद मोहम्मद उमर
               ९ )बिन सैयदुल मलिक
१          १०)बिन सैयदुल बताल
               ११  )बिन सैयद अब्दुल मन्नान
            १२  )बिन सैयद मोहम्मद हनीफ कत्ताल
               १३ )बिन शाह मरदान शेरे खुदा हज़रात अली मुर्तुजा करामल्लाह वजह 
ह           
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       मोहम्मद गुलाम हुसैन                    मोहम्मद हकीम रजा H S Mobile Showroom


  

9 comments:

  1. Masha Allah
    Subhan Allah
    Es ka bahot dino she intezar that name Jo apne Pura kya
    Allah se Dua Hai Ke Allah apko or Apke Pure Khandan ko Jannat ata kre
    Ameen

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  2. Subhan Allah
    Masha allahy

    Didar ke Qabil ye kaha meri nazar hai

    Ye Teri Inayat hai ke Rukh Tera idhar hai

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  3. Bikul sahi farmaya
    Masha Allah

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  4. जनाब आपकी ह.दूल्हे शाह रहमान साहब की यह कहानी खापा सावनेर के ह. लष्कर शाह शहीद की कहानी से पूरी तरह मिलती है आप कोशिश करिए खापा वाले हुजूर की सच्ची घटना पता चले क्योंकि आने वाली नस्लों को सच्चा इतिहास पता हो।

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